हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi): शक्ति, भक्ति और आस्था का पूर्ण मार्गदर्शक – 2024 | The Ultimate Guide to Empowering Devotion and Spiritual Strength – 2024

हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) क्या है?

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी को समर्पित एक महत्वपूर्ण भक्ति स्तोत्र है। यह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है और इसमें 40 छंदों के माध्यम से भगवान हनुमान जी की महिमा का वर्णन किया गया है। हनुमान चालीसा(hanuman Chalisa) के नियमित पाठ से साधक को आत्मविश्वास, साहस, और भक्ति की अद्वितीय शक्ति प्राप्त होती है। इसके माध्यम से हनुमान जी की कृपा से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

चमत्कारिक रचना की कहानी

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, तुलसीदास जी को मुगल सम्राट अकबर ने कैद कर लिया था क्योंकि तुलसीदास जी ने सम्राट के कहने पर कोई चमत्कार दिखाने से इनकार कर दिया था। जेल में रहते हुए, तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) की रचना की ताकि हनुमान जी की सहायता प्राप्त की जा सके। कहा जाता है कि जल्द ही सम्राट के दरबार में बंदरों का एक बड़ा समूह आ गया और वहां हाहाकार मच गया। इस घटना को देखकर सम्राट ने तुलसीदास जी की दिव्य शक्ति को पहचाना और उन्हें तुरंत रिहा कर दिया। यह कहानी हनुमान चालीसा के चमत्कारी और रक्षक शक्ति का प्रतीक है, जो इस स्तुति का जाप करने से प्राप्त होती है।

चालीसा विधि

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने के लिए सही विधि (Chalisa Vidhi) का पालन करना चाहिए। प्रातःकाल या संध्या के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं। हनुमान जी की आरती (Hanuman Aarti) के साथ चालीसा का पाठ करें। चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आंतरिक शक्ति और शांति प्राप्त होती है।

हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa lyrics in Hindi)

Hanuman Chalisa

दोहा:
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।

चौपाई:

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहु लोक उजागर ॥ 1 ॥

रामदूत अतुलित बलधामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महावीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन वरण विराज सुवेशा ।
कानन कुंडल कुंचित केशा ॥

हाथवज्र औ ध्वजा विराजै ।
कांथे मूंज जनेवू साजै ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महाजग वंदन ॥

विद्यावान गुणी अति चातुर ।
राम काज करिवे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया ।
रामलखन सीता मन बसिया ॥

सूक्ष्म रूपधरि सियहि दिखावा ।
विकट रूपधरि लंक जलावा ॥

भीम रूपधरि असुर संहारे ।
रामचंद्र के काज संवारे ॥

लाय संजीवन लखन जियाये ।
श्री रघुवीर हरषि उरलाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बडाई।
तुम मम प्रिय भरत सम भायी ॥

सहस्र वदन तुम्हरो यशगावै ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा ।
नारद शारद सहित अहीशा ॥

यम कुबेर दिगपाल जहां ते ।
कवि कोविद कहि सके कहां ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा ।
राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना ।
लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥

युग सहस्र योजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही ।
जलधि लांघि गये अचरज नाही ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी शरणा ।
तुम रक्षक काहू को डर ना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हांक ते कांपै ॥

भूत पिशाच निकट नहि आवै ।
महवीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत वीरा ॥

संकट से हनुमान छुडावै ।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोयि लावै ।
तासु अमित जीवन फल पावै ॥

चारो युग प्रताप तुम्हारा ।
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ठसिद्धि नव निधि के दाता ।
अस वर दीन्ह जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हारे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥

तुम्हरे भजन रामको पावै ।
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥

अंत काल रघुपति पुरजायी ।
जहां जन्म हरिभक्त कहायी ॥

और देवता चित्त न धरयी ।
हनुमत सेयि सर्व सुख करयी ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बल वीरा ॥

जै जै जै हनुमान गोसायी ।
कृपा करहु गुरुदेव की नायी ॥

जो शत वार पाठ कर कोयी ।
छूटहि बंदि महा सुख होयी ॥

जो यह पडै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीशा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥

दोहा
पवन तनय संकट हरण – मंगल मूरति रूप् ।
राम लखन सीता सहित – हृदय बसहु सुरभूप् ॥
सियावर रामचंद्रकी जय । पवनसुत हनुमानकी जय ।

बोलो भायी सब संतनकी जय ।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग-दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनी पुत्र महा बलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंक विध्वंस किए रघुराई। तुलसीदास प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

हनुमान जी बीज मंत्र (Hanuman Beej Mantra) का जप

मंत्र “ॐ हं हनुमते नमः” एक शक्तिशाली और लोकप्रिय हनुमान मंत्र है, जिसका उपयोग भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए करते हैं। आइए इस मंत्र के प्रत्येक भाग का हिंदी में विस्तृत अर्थ समझते हैं:

ॐ (Om):

  • ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है और सृष्टि का स्रोत माना जाता है। यह हिन्दू धर्म में परम सत्य या ब्रह्म का प्रतीक है।
  • का उच्चारण करने से दिव्य ऊर्जा, शांति, और परम सत्ता की उपस्थिति महसूस होती है।
  • इस मंत्र में का उपयोग आध्यात्मिक वातावरण को जागृत करने और साधक के मन और आत्मा को हनुमान जी की दिव्य शक्ति से जोड़ने के लिए किया जाता है।

हं (Ham):

  • हं एक बीज मंत्र है जो वायु तत्व (हवा) का प्रतिनिधित्व करता है, जो हनुमान जी से जुड़ा है, क्योंकि वे वायु देवता पवन के पुत्र हैं।
  • यह प्राण (जीवन शक्ति) और श्वास का प्रतीक है, जो हनुमान जी की गति, शक्ति और चलने की क्षमता को दर्शाता है।
  • हं का उच्चारण हनुमान जी की विशेषताओं को जागृत करता है, जैसे उनकी फुर्ती, शक्ति और रक्षा करने की क्षमता।

हनुमते (Hanumatey):

  • हनुमते हनुमान जी का संबोधन है, जो उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ पुकारने का तरीका है। इसका अर्थ है “हनुमान को”, यानी उनकी शक्ति, आशीर्वाद और उपस्थिति का आह्वान करना।
  • इस भाग में हनुमान जी की महिमा, उनकी रामभक्ति, बाधाओं को दूर करने की क्षमता और उनकी महान शक्ति का सम्मान किया जाता है।

नमः (Namah):

  • नमः का अर्थ है “मैं नमन करता हूँ” या “मैं समर्पण करता हूँ”। यह किसी देवता के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विनम्रता का प्रतीक है।
  • नमः कहकर साधक हनुमान जी को नमन करता है और उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हुए उनसे रक्षा, मार्गदर्शन और आशीर्वाद की प्रार्थना करता है।

मंत्र का सम्पूर्ण अर्थ:

  • “ॐ हं हनुमते नमः” का अर्थ है “मैं हनुमान जी को नमन करता हूँ, जो शक्ति, ज्ञान, और भक्ति के प्रतीक हैं, और मैं उनकी दिव्य ऊर्जा और आशीर्वाद का आह्वान करता हूँ।”
  • यह एक समर्पण, शक्ति और सुरक्षा का मंत्र है, जिसमें हनुमान जी से साहस, मानसिक स्पष्टता और जीवन की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना की जाती है।

ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र के लाभ:

  1. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा: इस मंत्र का जप करने से साधक को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और भय से सुरक्षा मिलती है।
  2. शक्ति और साहस में वृद्धि: नियमित रूप से इस मंत्र का जप करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस बढ़ता है।
  3. ध्यान और दृढ़ता में सुधार: यह मंत्र एकाग्रता और अनुशासन को बढ़ावा देता है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलताओं के लिए आवश्यक है।
  4. भक्ति में वृद्धि: इस मंत्र का जप हनुमान जी के प्रति गहरी भक्ति और आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है, जिससे मन की शांति, आनंद और संतुष्टि मिलती है।
  5. बाधाओं का निवारण: जिस प्रकार हनुमान जी ने भगवान राम के लिए बाधाओं को दूर किया, यह मंत्र भी साधक के जीवन की मुश्किलों और चुनौतियों को दूर करने में मदद करता है।

यह मंत्र विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को जपा जाता है, जो हनुमान जी के लिए शुभ दिन माने जाते हैं।

हनुमान वंदना का महत्व

हनुमान वंदना (Hanuman Vandana) श्री हनुमान जी की भक्ति और महिमा का गान है। इसे हनुमान जी की आरती(Hanuman Aarti) और चालीसा(Hanuman Chalisa) के साथ गाया जाता है, जिससे साधक के जीवन में भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वंदना से साधक को भगवान हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी कष्ट दूर होते हैं।

हनुमान जी का भोग:

  1. लड्डू (चने का लड्डू)
    • लड्डू विशेष रूप से हनुमान जी को अर्पित किया जाता है, खासकर चने के आटे के लड्डू। यह भोग हनुमान जी की शक्ति और ऊर्जा को दर्शाता है।
    • क्यों: चने का लड्डू हनुमान जी के सरल और सच्चे स्वभाव को व्यक्त करता है। यह भोग भक्तों द्वारा पसंद किया जाता है और हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए अर्पित किया जाता है।
  2. पानी और शहद
    • पानी और शहद भी हनुमान जी को अर्पित किया जाता है। शहद की मिठास और पानी की पवित्रता हनुमान जी के प्रेम और भक्ति को दर्शाती है।
    • क्यों: शहद और पानी भोग में उपयोगी होते हैं क्योंकि वे पवित्रता और अच्छाई का प्रतीक होते हैं। ये हनुमान जी को प्रसन्न करने और भक्ति को गहराई से महसूस करने में मदद करते हैं।
  3. फल (केले, सेब)
    • फल जैसे केले और सेब भी हनुमान जी को अर्पित किए जाते हैं। इन्हें विशेष अवसरों पर अर्पित किया जाता है।
    • क्यों: फल ताजगी और स्वास्थ्य का प्रतीक होते हैं। ये हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करते हैं।
  4. सुपारी और लौंग
    • सुपारी और लौंग को भी भोग में शामिल किया जाता है। ये विशेष रूप से पूजा की समाप्ति पर अर्पित किए जाते हैं।
    • क्यों: सुपारी और लौंग का उपयोग पूजा में पवित्रता और समर्पण के प्रतीक के रूप में किया जाता है। यह हनुमान जी की पूजा को पूर्ण और प्रभावी बनाता है।
  5. साल और रेवड़ी
    • साल (मिठाई) और रेवड़ी भी हनुमान जी को अर्पित की जाती है। ये मिठाइयाँ भोग के हिस्से के रूप में उपहार के रूप में अर्पित की जाती हैं।
    • क्यों: मिठाइयाँ खुशी और आनंद का प्रतीक होती हैं। हनुमान जी को मिठा भोग अर्पित करने से भक्ति की मिठास और श्रद्धा को व्यक्त किया जाता है।

भोग अर्पण का तरीका:

  1. स्वच्छता और पवित्रता: पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और सभी भोग सामग्री को पवित्रता से तैयार करें।
  2. अर्पण विधि: भोग को हनुमान जी के समक्ष रखें और पहले हनुमान जी का ध्यान केंद्रित करें। फिर भोग को अर्पित करते समय नमन करें और हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
  3. प्रसाद का वितरण: भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद को भक्तों में बांटें। यह हनुमान जी की कृपा का प्रतीक है और सबको लाभान्वित करता है।

इन भोगों को अर्पित करके भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते हैं और अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। यह भी ध्यान रखें कि भोग अर्पित करते समय पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाए।

निष्कर्ष

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त करने वाला माध्यम है। हनुमान जी की आरती (Hanuman ji ki Aarti) और वंदना (Hanuman Vandana) के साथ चालीसा का पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिव्य स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन की सभी कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

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