हनुमान अष्टक लिखित में: 8 शक्तिशाली श्लोक जो दूर करेंगे आपके सभी संकट! -Hanuman Ashtak Likhit Mein: 8 Powerful Verses to Remove All Your Troubles!

हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak): भक्ति, महिमा और चमत्कार

हनुमान अष्टक, भगवान हनुमान की स्तुति में रचा गया एक प्राचीन स्तोत्र है, जो उनकी शक्ति, वीरता और भक्तिपूर्ण सेवा का गुणगान करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन के सभी संकटों से मुक्ति पा सकते हैं। हनुमान अष्टक न केवल भगवान हनुमान की महिमा को प्रकट करता है, बल्कि यह जीवन में साहस, धैर्य और शक्ति प्राप्त करने का एक माध्यम भी है।

इस लेख में हम हनुमान अष्टक(Hanuman Ashtak), हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) और बजरंग बाण(Bajrang Baan) की महत्ता और उनके प्रभावों पर चर्चा करेंगे। साथ ही, हनुमान जी के भक्तों के मन में उठने वाले सामान्य प्रश्नों के उत्तर भी प्रदान करेंगे।

हनुमान अष्टक का परिचय

हनुमान अष्टक(Hanuman Ashtak) की रचना प्रसिद्ध संत गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा की गई थी। हनुमान अष्टक, भगवान हनुमान की महिमा और उनकी कृपा को व्यक्त करता है। इसे तुलसीदास जी ने उन संकटों और कष्टों से छुटकारा पाने के लिए लिखा था, जिनका उन्होंने स्वयं सामना किया। हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है, और यह अष्टक उनके संकटमोचक स्वरूप का वर्णन करता है।

हनुमान अष्टक 8 श्लोकों का एक भजन है, जिसमें हनुमान जी की असीम शक्ति, भक्ति और समर्पण की महिमा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र तुलसीदास द्वारा रचित है, जो राम भक्तों के लिए बहुत ही पूजनीय हैं। हनुमान अष्टक के हर श्लोक में भगवान हनुमान की वीरता, उनका बल, और उनकी असीम भक्ति का गुणगान किया गया है।

यह अष्टक विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में साहस और दृढ़ निश्चय की प्राप्ति चाहते हैं। हनुमान जी को “संजीवनी” का प्रतीक माना जाता है, जो असंभव को संभव करने की क्षमता रखते हैं। हनुमान अष्टक का नियमित पाठ जीवन के कठिनाईयों को दूर करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

हनुमान अष्टक क्यों रचा गया?

तुलसीदास जी का जीवन कई कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा था। एक कथा के अनुसार, तुलसीदास जी एक बार गंभीर संकट में फंस गए थे और तब उन्होंने भगवान हनुमान से प्रार्थना की थी। हनुमान जी ने उनकी सहायता की और उनके सभी संकटों को दूर किया। इस अनुभव के बाद, तुलसीदास जी ने भगवान हनुमान की कृपा और शक्ति का वर्णन करते हुए “हनुमान अष्टक” की रचना की।

हनुमान अष्टक में विभिन्न अवसरों पर हनुमान जी द्वारा संकटों को दूर करने की घटनाओं का वर्णन किया गया है, जैसे कि जब उन्होंने सूर्य को निगल लिया था, लंका जलाई थी, सीता जी का पता लगाया था, और लक्ष्मण जी के प्राण बचाए थे। यह अष्टक भगवान हनुमान की महानता, उनकी वीरता, और उनके भक्तों के प्रति उनकी करुणा को उजागर करता है।

हनुमान अष्टक का पाठ करने से भक्तों के जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है और उनके जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

हनुमान अष्टक 8 श्लोकों का एक भजन है, जिसमें हनुमान जी की असीम शक्ति, भक्ति और समर्पण की महिमा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र तुलसीदास द्वारा रचित है, जो राम भक्तों के लिए बहुत ही पूजनीय हैं। हनुमान अष्टक के हर श्लोक में भगवान हनुमान की वीरता, उनका बल, और उनकी असीम भक्ति का गुणगान किया गया है।

यह अष्टक विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में साहस और दृढ़ निश्चय की प्राप्ति चाहते हैं। हनुमान जी को “संजीवनी” का प्रतीक माना जाता है, जो असंभव को संभव करने की क्षमता रखते हैं। हनुमान अष्टक का नियमित पाठ जीवन के कठिनाईयों को दूर करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का महत्व

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और बजरंग बाण (Bajrang Baan) भी भगवान हनुमान की स्तुति में प्रमुख स्तोत्र हैं। हनुमान चालीसा के 40 दोहों के माध्यम से भक्त भगवान हनुमान की महिमा और उनके चमत्कारों का स्मरण करते हैं। चालीसा का पाठ न केवल भौतिक समृद्धि देता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।

बजरंग बाण, एक और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो विशेष रूप से संकटों को दूर करने और जीवन में आई परेशानियों का अंत करने के लिए पढ़ा जाता है। बजरंग बाण में भगवान हनुमान को बुलाकर तुरंत सहायता प्राप्त करने का वर्णन किया गया है। इसे कठिन समय में भगवान हनुमान की सहायता पाने के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है।

हनुमान अष्टक, हनुमान चालीसा, और बजरंग बाण तीनों ही भगवान हनुमान के प्रति समर्पण और भक्ति को प्रकट करते हैं, और जीवन के संकटों को हरने के लिए अमोघ हथियार माने जाते हैं।

हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) के लाभ

  1. आध्यात्मिक शांति: हनुमान अष्टक का नियमित पाठ मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन को प्राप्त करने में सहायक होता है। हनुमान जी की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान संभव है।
  2. साहस और बल: हनुमान जी को “बजरंगी” कहा जाता है, जो अतुलित बल के प्रतीक हैं। हनुमान अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  3. संकट मोचन: जीवन में आई कठिनाइयों और संकटों को दूर करने के लिए हनुमान अष्टक एक प्रभावी साधन है। हनुमान जी संकट मोचन कहे जाते हैं, और उनका आह्वान हर संकट का समाधान कर सकता है।
  4. समर्पण और भक्ति: हनुमान जी की भक्ति हमें समर्पण और सेवा के महत्व को सिखाती है। अष्टक का पाठ हमें भगवान राम की तरह हमारे लक्ष्यों के प्रति दृढ़ रहने की प्रेरणा देता है।
  5. रोगों से मुक्ति: शास्त्रों में कहा गया है कि हनुमान जी के नाम का जप करने से शारीरिक और मानसिक रोग दूर हो जाते हैं। हनुमान अष्टक का नियमित पाठ व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

हनुमान अष्टक लिखित में (Hanuman Ashtak Likhit Mein)

Hanuman Ashtak Likhit Mein

भगवान हनुमान की स्तुति का आनंद लेने के लिए हनुमान अष्टक का पाठ लिखित रूप में भी उपलब्ध है। इसके श्लोकों को सही ढंग से पढ़ने और समझने के लिए इसका अध्ययन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भक्त इसे लिखित में पढ़ते समय ध्यानपूर्वक हनुमान जी का ध्यान कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप हनुमान अष्टक लिखित में प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसे ऑनलाइन माध्यमों से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

॥ हनुमानाष्टक ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो॥ २ ॥

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो॥ ३ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो॥ ४ ॥

बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो॥ ५ ॥

रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो॥ ६ ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो॥ ८ ॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर॥

हनुमान अष्टक का पाठ करने का सही तरीका

हनुमान अष्टक का पाठ(पाठ करने की विधि) करने के लिए विशेष दिन जैसे मंगलवार और शनिवार को सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि ये दिन हनुमान जी को समर्पित होते हैं। सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर, भगवान हनुमान के सामने दीपक जलाकर अष्टक का पाठ किया जाता है। पाठ के बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का भी पाठ किया जा सकता है, जिससे भगवान हनुमान की कृपा और भी तीव्र रूप से प्राप्त होती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: हनुमान अष्टक का पाठ कब किया जाना चाहिए?

उत्तर: हनुमान अष्टक का पाठ मंगलवार और शनिवार को किया जाना चाहिए। ये दिन भगवान हनुमान के लिए विशेष माने जाते हैं। इसके अलावा, किसी भी संकट या परेशानी के समय भी इसका पाठ किया जा सकता है।

प्रश्न 2: हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa), बजरंग बाण (Bajrang Baan) और हनुमान अष्टक(Hanuman Ashtak) में क्या अंतर है?

उत्तर: हनुमान चालीसा में 40 दोहे होते हैं, जो भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करते हैं। बजरंग बाण संकट के समय भगवान हनुमान को पुकारने का एक सशक्त माध्यम है, जबकि हनुमान अष्टक 8 श्लोकों में हनुमान जी की वीरता और समर्पण का वर्णन करता है।

प्रश्न 3: हनुमान अष्टक के लाभ क्या हैं?

उत्तर: हनुमान अष्टक का नियमित पाठ मानसिक और शारीरिक बल, संकटों का निवारण, और जीवन में आत्मिक शांति प्रदान करता है। यह पाठ भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने का प्रभावी माध्यम है।

प्रश्न 4: हनुमान अष्टक लिखित में कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

उत्तर: हनुमान अष्टक लिखित में आप धार्मिक पुस्तकों या ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त कर सकते हैं। इसे आप PDF रूप में डाउनलोड कर सकते हैं और पाठ कर सकते हैं।

प्रश्न 5: क्या हनुमान अष्टक का पाठ हर दिन किया जा सकता है?

उत्तर: हां, हनुमान अष्टक का पाठ हर दिन किया जा सकता है, विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ अधिक फलदायी होता है।

निष्कर्ष

हनुमान अष्टक एक महान भक्ति स्तोत्र है, जो भगवान हनुमान की भक्ति, शक्ति और समर्पण की महिमा का गुणगान करता है। हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के साथ, यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से सशक्त बनाता है। जीवन में आने वाले संकटों और कठिनाइयों का सामना करने के लिए हनुमान अष्टक का नियमित पाठ अत्यंत लाभकारी है। हनुमान जी की कृपा से जीवन में शक्ति, साहस और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है, जिससे सभी बाधाओं का निवारण संभव है।

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